हर भोर सुहानी होगी, हर शाम दीवानी होगी
जिस रोज तुम्हारे सदके मे, बे-खौफ जवानी होगी
कतरे कतरे पे हक है तेरा सांसों पे तेरी हुकूमत है
दिल तो तेरे इश्क़ में फिदा रहा, अब जां भी तेरे हवाले है
ऐ वतना बे तेरी मिट्टी का
नशा ही कुछ निराला है
चढ़ता जाता है और भी ये
जब जब खुद को संभाला है
जिस्मों से रूह तलक खुद को
तेरी सदके मे है उड़ेल दिया
जो था तेरा तुझको अर्पण
मिट्टी से मिट्टी का मेल किया
रूह तेरे आंचल मे सिमटा, तन पे तिरंगा डाले हैं
दिल तो तेरे इश्क़ में फिदा रहा, अब जां भी तेरे हवाले है
जब यादों की बारिस होगी
मैं बन बुँदे तुम्हें भिगाउँगा
खेतों में बन के खुशबू सा
मैं फसलों मे लहाराउंगा
अमर होती है शहीदी चोला
मरने कहाँ ये देती है
तुम जब भी लोगे नाम मेरा
मैं हर दफा जी जाऊंगा
धूल भभूति सा सजा तन पे, तेरे रंग में रंगने वाले हैं
दिल तो तेरे इश्क़ में फिदा रहा, अब जां भी तेरे हवाले है
वो आन फिर वो आन नहीं
जो तुझ पे हो कुर्बान नही
जो दौड़ रहा है नश् नश् मे
उस लहू पे फिर अभिमान नहीं
धर्म नहीं मजहब नहीं
छोटा या बड़ा औकात नहीं
सब डूबे हैं एक ही रंग में
शहीदों की कोई जाति नहीं
कर लिया नशा जो शहादत का फिर कहां संभलने वाले हैं
दिल तो तेरे इश्क़ में फिदा रहा, अब जां भी तेरे हवाले है
~ इंदर भोले नाथ
बागी बलिया उत्तर प्रदेश
#6387948060