Monday, June 20, 2016

जुनून-ए-इश्क़

जुनून-ए-इश्क़ का दस्तूर भी अजीब है,
जो कभी अपना था ही नहीं,उसे गैर नहीं मानता…
…इंदर भोले नाथ…
http://merealfaazinder.blogspot.in/

मिट्टी के घरौंदे…IBN

उसकी हर एक बूँद से पिघलते
देखा है मैने मिट्टी के उन घरौंदों को…
जिस बरसात की आरज़ू पत्थरों के
महल हर रोज किया करते हैं…..
…इंदर भोले नाथ…
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