Sunday, March 19, 2017

तेरे इश्क से


तेरे इश्क से जो महरूम हुए
दफन ख्वाहिश-ए-आरज़ू तमाम हो गये,
साज़िस ज़िन्दगी ने की
कम्बख्त हम बदनाम हो गये...

------इंदर भोले नाथ

फुरसत...


रहा खुद मे मैं बाकी अब कहां
कुछ युं हुआ है तुं मुझमे रवां
खुद का ख्याल अब मैं रख सकुं
तुझे सोचने के बाद है फुरसत कहां...

-------इंदर भोले नाथ