Wednesday, January 29, 2020

शायरी

मोहब्बत ए जुनूँ रूह तक उतार दी गई
इक मुलाक़ात पे ज़िंदगी गुज़ार दी गई



ग़ज़ल

राह ए मोहब्बत में कभी ये मकाम न आये
मौत आये पर अश्क़ों का जाम न आये

गवारा है कि मेरे हिस्से कोई इनाम न आये
बदनाम ही सही पर हस्ती गुमनाम न आये
मौत आये पर अश्क़ों का जाम न आये

दर्द से निजात का कोई एहतमाम न आये
है दर्द में सुकून कि अब आराम न आये
मौत आये पर अश्क़ों का जाम न आये

रहूं बेकार ही सही किरदार गुलाम न आये
जिंदगी खैरात पे बसर हो वो अंजाम न आये
मौत आये पर अश्क़ों का जाम न आये

बेवफा,संगदिल,बेमुरव्वत तेरा नाम न आये
की दुआ है यही तेरे सर कोई इल्जाम न आये
मौत आये पर अश्क़ों का जाम न आये



... इंदर भोले नाथ