Monday, July 13, 2020

ग़ज़ल

तुम मिले मिलते ही  सांस चलने लगें
इन निगाहों में फिर ख्वाब पलने लगें

फिर हवाएं आदतन तेज चलने लगी
फिर भी तूफानों में आग जलने लगें

रूबरू होकर तुमसे असर यूं हुआ
बर्फ सा आज फिर हम पिघलने लगे

तोड़कर राब्ता वो अज़ीज़ हुआ है मगर
हम निभा कर भी सबको हैं खलने लगें

दिल लगा के खता तो दिल ने की थी
इंतजार में फिर क्यूँ  देह गलने लगें

© इंदर भोले नाथ