Thursday, November 1, 2018

कुछ आरज़ू मुक़म्मल हुए,हज़ारों सपने बिखर गयें...
हम मैं (खुदी) की तलाश में इक वक़्त सा गुज़र गयें...
अब दिल की ख्वाहिश है यही के ज़ारी यूँ सफ़र रहे...
सुकूं न मिले इक पल का भी ज़िन्दगी यूँ बसर रहे...