तन्हाइयों की आदत सी हो गयी है,
तमन्नाओ की शहादत सी हो गयी है...!
रहना चाहता हू,अब अकेले ही हरपल,
महफ़िलों से अब शिकायत सी हो गयी है...!!
तमन्नाओ की शहादत सी हो गयी है...!
रहना चाहता हू,अब अकेले ही हरपल,
महफ़िलों से अब शिकायत सी हो गयी है...!!
इंदर भोले नाथ....... आधुनिक हिंदी साहित्य से परिचय और उसकी प्रवृत्तियों की पहचान की एक विनम्र कोशिश : भारत