चाहे जीते कोई या हारे कोई
पर बिगड़ी हालात को सुधारे कोई
जो दुर्दशा है आज इस उजड़े चमन का
गुलिस्ताँ वतन का संवारे कोई
कब तक लड़ोगे जाति-मज़हब के नाम पर
हम इंसानो को कभी इंसान पुकारे कोई
नहीं माँगता "इंदर" तुमसे मुकम्मल जहाँ
क़तरा-क़तरा सही वतन को निखारे कोई
चाहे जीते कोई या हारे कोई
पर बिगड़ी हालत को सुधारे कोई
........इंदर भोले नाथ
पर बिगड़ी हालात को सुधारे कोई
जो दुर्दशा है आज इस उजड़े चमन का
गुलिस्ताँ वतन का संवारे कोई
कब तक लड़ोगे जाति-मज़हब के नाम पर
हम इंसानो को कभी इंसान पुकारे कोई
नहीं माँगता "इंदर" तुमसे मुकम्मल जहाँ
क़तरा-क़तरा सही वतन को निखारे कोई
चाहे जीते कोई या हारे कोई
पर बिगड़ी हालत को सुधारे कोई
........इंदर भोले नाथ