Wednesday, October 5, 2022

भला कैसे हो सकता है

बगैर तेरे जिंदा भला कैसे हो सकता है
वो शख्स बेवफ़ा भला कैसे हो सकता है

कि जिसके आने से हुआ हो बवंडर का आगमन
वो मस्अला बेवजह भला कैसे हो सकता है

जो सितारा टिमटिमाता हो उसकी रौशनी लेकर
उसी चाँद से ख़फ़ा भला कैसे हो सकता है

कि जिसने खरीद लिया है मत दारू और पैसों से
वो नेता अच्छा इन्सां, भला कैसे हो सकता है

जिसके दर ओ दीवार ने तुम्हारा अतित संवारा हो
वो घर कभी मकां भला कैसे हो सकता है

जो रिश्ता खड़ा ही झूठ के बुनियाद पे हो "इंदर"
उस रिश्ते का भला, भला कैसे हो सकता है

©® इंदर भोले नाथ

बागी बलिया उत्तर प्रदेश