Tuesday, April 12, 2016

तेरे हुस्न को सजाने मे

क्या तारीफ करूँ मैं तेरी
अल्फाज़ों से
कोई लफ़्ज नहीं बचा
मेरे खजाने मे
रब भी सौ मर्तबा
टूटा होगा
तेरे हुस्न को सजाने मे
…इंदर भोले नाथ…
http://merealfaazinder.blogspot.in/