Wednesday, April 28, 2021

क़तरा क़तरा हवा मे गुजर जाने दे 
जिस्म से रूह तलक उतर जाने दे

मैं भी आगाज़ -ए- वफ़ा ढूंढता हूँ
तूँ भी अब खुद को सुधर जाने दे

@ इंदर भोले नाथ