यह बात तमाचे कि नहीं जो बापू सा अहिंसावाद रहें
वो खून की होली खेल रहें और हम निराशावाद रहें
उतर के देखो सियासत से कभी उस घर में कितनी मातम है
वो दर्द रूह को छलनी कर दे वो जख्म सालों बाद रहे
क्यों मौन साधे यूं बैठे हो फिर तांडव का आगाज करो
उन्होंने 40 मारे हैं तुम 400 का शिकार करो
नदियां बहा दो खून की आतंकियों की रूह कांप उठे
यहां 40 का अग्नि दाह हो वहां 400 का जनाजां उठे
..... इंदर भोले नाथ
वो खून की होली खेल रहें और हम निराशावाद रहें
उतर के देखो सियासत से कभी उस घर में कितनी मातम है
वो दर्द रूह को छलनी कर दे वो जख्म सालों बाद रहे
क्यों मौन साधे यूं बैठे हो फिर तांडव का आगाज करो
उन्होंने 40 मारे हैं तुम 400 का शिकार करो
नदियां बहा दो खून की आतंकियों की रूह कांप उठे
यहां 40 का अग्नि दाह हो वहां 400 का जनाजां उठे
..... इंदर भोले नाथ