मिलें थें हम कई सालों बाद
शाम थी गुजरी उसी के साथ
शाम थी गुजरी उसी के साथ
पूछा उसने कैसे हो तुम
कैसा चल रहा काम काज
अपना तो सब चंगा है
ना टेंसन ना पंगा है
ना टेंसन ना पंगा है
जिंदगी सुकून से गुजर रही
अच्छा चल रहा धंधा है
अच्छा चल रहा धंधा है
एक फ्लैट तो बना लिया
अब दूसरे की तैयारी है
अब दूसरे की तैयारी है
घर में सब इंपोर्टेंट चीजें
बाहर खड़ी फरारी है
बाहर खड़ी फरारी है
सुनकर उसकी सारी बातें
ताजी हुई पुरानी यादें
ताजी हुई पुरानी यादें
बोला उसको छोड़ न ये सब
करते हैं बचपन की बातें
करते हैं बचपन की बातें
तुं तुं बन जा मैं मैं बन जाऊ
मैं अपने खाने से तुझे खिलाऊँ
मैं अपने खाने से तुझे खिलाऊँ
मेरे लिए तूँ झगड़ा करना
तेरे लिए मैं लड़ के आऊँ
तेरे लिए मैं लड़ के आऊँ
तुं डाल पे चढ़ के आम तोड़े
मैं नीचे खड़ा करूँ इकट्ठा
मैं नीचे खड़ा करूँ इकट्ठा
तुं मेरी नाम की हाजिरी दे
मैं तेरे नाम का मारूँ रटा
मैं तेरे नाम का मारूँ रटा
वो तपती दुपहरी में,नंगे
पांव सड़कों पे दौड़ लगाना
बिना बात की बातों पर वो
हँसना और खूब हँसाना
हँसना और खूब हँसाना
चल गुजरे दौर में चलते हैं फिर
अंधियारे मे जलते हैं फिर
अंधियारे मे जलते हैं फिर
किरणों से आँख मिला के दोनो
इस सूरज से लड़ते हैं फिर
इस सूरज से लड़ते हैं फिर
दिन का सूरज नहीं है दिखता
ड्यूटी मे जगती हैं रातें
ड्यूटी मे जगती हैं रातें
रहने दे अब छोड़ न ये सब
करते हैं बचपन की बातें
करते हैं बचपन की बातें
तूफानों से नहीं थें डरतें
बाग में आम बिनने चल पड़ते
बाग में आम बिनने चल पड़ते
कहाँ मजा थेटर में है अब
जो सामीयाने में थें करतें
जो सामीयाने में थें करतें
सिटी,मॉल भी ठीक न लगता
नया साल भी ठीक न लगता
नया साल भी ठीक न लगता
हुई त्योहारों की खुशी भी फीकी
मेले में अब भीड़ न लगता
मेले में अब भीड़ न लगता
छत पे सो के तारा देखना
सपने में फिर नजारा देखना
सपने में फिर नजारा देखना
याद है या फिर भूल गया तुं
नदी का वो किनारा देखना
नदी का वो किनारा देखना
बदला केवल तुं ही नहीं है
मैं भी कुछ कुछ बदल गया हूँ
मैं भी कुछ कुछ बदल गया हूँ
कभी अकड़ थी चट्टानों सी
आज मोम सा पिघल गया हूँ
आज मोम सा पिघल गया हूँ
देर से खेलकर जब घर आतें
याद है तुझ को माँ की डांटे
याद है तुझ को माँ की डांटे
बहुत हुआ रहने दे ये सब
करते हैं बचपन की बातें
करते हैं बचपन की बातें
करते हैं बचपन की बातें..........
© इंदर भोले नाथ
बागी बलिया उत्तर प्रदेश