फ़कत जिस्म नहीं मै रूह तक उतरना चाहता हूँ
थक चुका हूँ ऐ-दिल तुम्हारी खानाबदोशी, अब
सुनो आवारगी से कह दो मैं सुधरना चाहता हूं
© इंदर भोले नाथ
बागी बलिया, उत्तर प्रदेश
इंदर भोले नाथ....... आधुनिक हिंदी साहित्य से परिचय और उसकी प्रवृत्तियों की पहचान की एक विनम्र कोशिश : भारत
No comments:
Post a Comment