Friday, September 4, 2015


चल कहीं दूर....चलें ऐ-ज़िंदगी,
इस जहाँ से परे.....,
इक छोटा सा आशियाँ बनाएँगे वहाँ,
जहाँ तूँ मैं और दूर.......तलक,
बस खामोशी ही खामोशी हो.....!!
Acct-IBN_
#मेरे_अल्फ़ाज़_इंदर



हे कान्हा....


हे कान्हा...अश्रु तरस रहें, 
निस दिन आँखों से बरस रहें,
कब से आस लगाए बैठे हैं, 
एक दरश दिखाने आ जाते...
बरसों से प्यासी नैनों की, 
प्यास बुझाने आ जाते...
बृंदावन की गलियों मे, 
फिर रास रचाने आ जाते...
राधा को दिल मे रख कर के, 
गोपियों संग रास रचा जाते...
कहे दुखियारी मीरा तोह से, 
मोहे चरणन मे बसा जाते..
कब से आस लगाए बैठे हैं, 
एक दरश दिखाने आ जाते...

Acct- IBN_