Saturday, February 23, 2019

कसुर किसका ?

भाई साहब 9:00 बजे वाली पैसेंजर चली गई या अभी है ,मैंने अपने पास ही खड़े एक सज््जन से पूछा I उन्होंने कहा नहीं भाई साहब अभी नहीं गई है बस कुछ ही देर में आने वाली है I थोड़ी देर बाद ट्रेन आ गई,डब्बा खाली था पैसेंजर ज्यादा नहीं थे इसलिए हमें बैठने को सीट मिल गई I जिस सीट पर मैं बैठा हुआ था ठीक उसके सामने वाली सीट पर एक बुजुर्ग बैठे हुए थे,जिनकी उम्र तकरीबन 55 साल की होगी I ट्रेन चल पड़ी मैं पॉकेट से अपना मोबाइल निकाल कर देखने लगा, तभी वो बुजुर्ग जो मेरे सामने वाली सीट पर बैठे हुए थे I मुझसे पूछे, बेटे कहां तक जाओगे आप, मैंने उनको बताया चाचा जी बस बेगूसराय तक जाना है I फिर वो बोलें,अच्छा...क्या नाम है तुम्हारा,
जी जयांश नाम है हमारा जयांश दुबे I
अच्छा तुम्हारा भी नाम जयांश ही है ,मैंने पूछा तुम्हारा भी से मतलब किसी और का भी नाम है क्या जयांश दुबे I

फिर उन्होंने कहा हां मेरे साले साहब का एक लड़का है उसी का नाम है जयांश, और इत्तेफाक से हम भी दुबे ही हैं इसीलिए उसका भी नाम जयांश दुबे ही है I
बहुत ही अच्छा नाम है, मेरे साले साहब का नाम है जयप्रकाश और उनकी पत्नी का नाम है अंशिता इसीलिए उन्होंने अपना और अपनी पत्नी का नाम जोड़कर अपने लड़के का नाम जयांश रखा I

मेरे साले साहब के शादी के कई सालों बाद कोई लड़का नहीं हुआ, न जाने कितने मंदिरों के चक्कर लगायें, कितनी मन्नतें मांगी ऊपर वाले से, तब जाकर कई सालों बाद जयांश पैदा हुआ I
मुझे आज भी याद है जब जयांश पैदा हुआ था, तब उसके पिता दुबे जी कितना खुश थे I पूरे गांव में उन्होंने मिठाई बटवाई थी I दुबे जी के घर लड़का हुआ है,यह बात सुनकर पूरा गांव खुश था, जो भी सुनता बड़ा ही खुश होता और यही कहता है कि चलो भगवान ने आखिर दुबे जी की भी सुनली बड़े अच्छे इंसान है दुबे जी सबका भला ही  चाहते हैं I
समय बीतता गया और धीरे-धीरे दुबे जी का लड़का जयांश बड़ा होता गया, पढ़ने में भी बढ़ा ही तेज था पढ़ाई हो या खेल कूद हर चीज में रुचि रखता था I एक तरह से यह भी कहा जाए कि बड़ा ही तेज तरार और इंटेलिजेंट था उनका लड़का जयांश.
18 साल गुजरने के बाद बड़े ही अच्छे अच्छे घरों से जयांश के लिए रिश्ते आने लगे, दुबे जी और उनकी पत्नी अपने बेटे जयांश की शादी के सपने सजाने लगे I कई रिश्ते आए पर दुबे जी  की एक ही इच्छा थी, कि भैया हमें रुपया पैसा दान दहेज नहीं चाहिए बस लड़की अच्छी चाहिए , जो गुणवान और सुशील हो जो हमारे घर में आए तो हमारा घर स्वर्ग बना दे I

एक दिन एक रिश्ता आया किशनपुरा से, दुबे जी ने रिश्तेदारों की खुब आव भगत की लड़की के पिता लड़की का फोटो भी लेकर आए हुए थेे I
फोटो देखते ही दुबे जी को लड़की पसंद आ गई,और उन्होंने कहा कि ठीक है हमें तो लड़की फोटो में सही लग रही है I अब जल्दी से एक दिन निकाल के  हमारे साथ साथ लड़का और लड़की भीएक दूसरे को आमने सामने से देख ले ,और  फिर जब सब कुछ ठीक रहा तो शादी  का मुहूर्त निकाल  लेते हैं I

शादी वाली दिन नजदीक आ गई दोनों परिवारों में बड़ा ही खुशी का माहौल था ,खासकर दुबे जी के यानी जयांश के पिता बहुत ही खुश थे I समय गुजरा और शादी वाली दिन आ ही गई, बड़े धूमधाम से दुबे जी ने अपने बेटे जयांश की शादी की I बहू को विदा कराकर अपने घर लेकर आए, घर में बहुत ही खुशी थी सारे रिश्तेदार आए हुए थे घर में स्वर्ग जैसा माहौल हो गया था सभी के चेहरे पर खुशियां थी I

दो-तीन दिनों तक तो रिश्तेदारों का आना जाना लगा रहा, फिर धीरे-धीरे सारे रिश्तेदार अपने अपने घर चले गए I हम भी अपने घर आ गए थे, अचानक एक सुबह  हमें खबर मिली कि जयांश की पत्नी ने पंखे से लटक कर आत्महत्या कर ली है I फिर मैं और मेरी पत्नी भागे भागे दुबे जी के घर पहुंचे, वहां जाकर देखा पूरे घर में मातम छाया हुआ था, और पूरे गांव के लोग हैरान थे I अभी तो शादी के 7- 8 दिन भी नहीं गुजरे हुए थे, और यह क्या हो गया, अभी कुछ दिनों पहले जिस घर में इतनी खुशियां और चहल पहल थी, आज इस कदर मातम में कैसे बदल गई I आखिर क्यों दुबे जी की बहू ने आत्महत्या कर लिया,जबकि दुबे जी और दुबे जी का पूरा परिवार बड़ा ही नेक और दिलखुश इंसान हैं I
जयांश की पत्नि के मरने की खबर उसके मायके पहुंची तो उसके माता पिता भी आ गए, और उन्होंने दुबे जी और और उनके पूरे परिवार के ऊपर यह आरोप लगाया कि इन लोगों ने ही मेरी बेटी को मारा है I और उनके नाम मुकदमा दर्ज करा दिया, फिर क्या था पुलिस आई और अपनी कार्रवाई की और पूरे परिवार  को जेल हो गई I
दुबे जी और उनका पूरा परिवार लाख सफाई देता रहा कि हम ऐसा क्यों करेंगे, अगर हमें दहेज के लिए उत्पीड़न करना ही होता और अपनी बहू को मारना ही होता तो हम शादी से पहले ही आपसे बहुत सारा दहेज मांगे होते I जबकि हमने तो आपसे एक रूपया भी दहेज नहीं लिया था I हम पर गलत आरोप लगाया गया है, दुबे जी और उनका पूरा परिवार रोता गिड़गिड़ाता रहाा, लड़की के पिता से और प्रशासन से पर किसी ने उनकी एक बात न सुनी,और दुबे जी और उनके पूरे परिवार को जेल भेज दिया गया I

दुबे जी  और उनका पूरा परिवार  एक ऐसे जुर्म की  सजा काट रहे हैं, जिस जुर्म को उन्होंने किया ही नहीं था I

दुबे  जी और उनके पूरे परिवार के सजा होने के दो महीने बाद हमें पता चला कि  लड़की  किसी और से प्यार करती थी I जिस कॉलेज में वो पढ़ती थी, उसी कॉलेज के एक लड़के से लड़की को प्यार हो गया था I जब यह बात लड़की के पिता को पता चली तो उन्होंने  लड़की की शादी  करने का  मन बनाया ,जब की लड़की ने बहुत ही विरोध किया था I पापा मैं किसी और से प्यार करती हूं, इसलिए मैं उसी से शादी करना चाहती हूं I पर  उसके पिता ने  उसकी एक भी न सुनी, और  जबरदस्ती उसकी शादी  दुबे जी के लड़के जयांश से कर दी I
शादी तो उसने अपने पिता के दबाव में आकर कर ली, लेकिन वह अपने पहले प्रेमी को भुला न सकी और इसलिए उसने आत्महत्या कर लिया I यह बात  लड़की के पिता भी जानते थे कि  दुबे जी  ने उनकी लड़की को या दुबे जी के परिवार के किसी भी सदस्य ने उनकी लड़की को नहीं मारा I फिर भी  लड़की के पिता ने  दुबे जी और उनके पूरे परिवार को  इस आरोप में फसाया I

आज पांच साल हो गए हैं दुबे जी और उनके पूरे परिवार को सजा काटते हुए ,उन्हीं लोगों से आज मैं मिलने जा रहा हूँ I  पता नहीं और कितने साल उन्हें जेल में रहना होगा I
बेटा मैं ये नहीं कहता कि लड़कें और लड़कियों में फर्क है, बल्कि मैं भी यही मानता हूं कि लड़कें और लड़कियां दोनों एक समान है I  मैं हर मां-बाप से यही कहता हूं की जितना छुट हम लड़कों को उनका करियर बनाने में देते हैं, उतना छूट हमें लड़कियों को भी देनी चाहिए I
लेकिन पूराी देनी चाहिए ये नहीं कि हम उनके मर्जी से पढ़ाई और उन्हें बेहतर बनाएं I और जब उनके जिंदगी का अहम फैसला वो खुद लेना चाहें, तब हम अपने पुराने ख्यालों और लोक लाज के डर से उनकी इच्छाओं को दबा दें I
जब हम उन्हें उनके बेहतर भविष्य बनाने में इतना छूट देते हैं, तब हम उनके चुने गए लड़के से या जिससे वो प्रेम करती हैं क्यों नहीं शादी करा देतें हैं, ताकि वो पूरी उम्र खुश रहें I फिर क्यों हम जबरदस्ती किसी और से उनकी शादी कर देते हैं ऐसा करके हम सिर्फ उनका ही  नहीं बल्कि उस घर का भी भविष्य बर्बाद करते हैं जिस घर में हम उनकी शादी करते हैं I
क्या कसूर होता है उनका, उन परिवार वालों का जो बेकसूर होते हुए भी कसूरवार ठहराये जाते हैं I मैं ये नहीं कहता कि हर लड़की ऐसी होती है जो आत्महत्या करती हैं I
लेकिन आज के समय में अधिकांश जो लड़कियां आत्महत्या करती हैं इसकी वजह बस यही है I
दहेज उत्पीड़न नहीं,क्योंकि आज हमारा समाज शिक्षित हो गया है और कोई भी नहीं चाहता कि वो दहेज के लिए अपने बहु को उत्पीड़न करें या उसे मार दे, खासकर उस लड़की को जो पढ़ी लिखी हो I
हम ये भी मानते हैं कि अगर ऐसा होता भी है तो उसकी अच्छी तरह जांच कराई जाए I
पहले सबूत इकट्ठा किए जाएं, फिर जब यह साबित हो जाये कि लड़के के मां-बाप और लड़का उस लड़की  के मौत के जिम्मेदार हैं, तब उन पर कार्रवाई की जाये और उन्हें सजा दिलाई जाये I

मैं आज तक एक बात समझ नहीं पाया कि आखिर कुसुर किसका था I
दुबे जी का जिन्होंने बड़े धूमधाम से अपने बेटे की शादी की वो भी बिना एक रूूूूपया दहेज लिए, या लड़की के पिता का जिसने यह जानते हुए भी कि उसकी लड़की किसी और से प्यार करती है, फिर भी जबरदस्ती उसकी शादी दुबे जी के लड़के से कराई, या फिर उस लड़की का जिसने अपने पिता के दबाव में आकर ये शादी की ?
                                                                             
                                                                             समाप्त


आप सभी भी अपनी राय जरूर दें I
धन्यवाद.... 

"मन की बात"

"मन की बात"


"ज्योत से ज्योत जगाते चलो प्रेम की गंगा बहाते चलो " रमेश के मोबाइल मे लगा रिंग टोन बजा.......
रमेश :- "हेल्लो" कौन


मेश मैं महेश बोल रहा हूँ..... हाँ भैया, कहिए कैसे है, सब ठीक तो है न सुना है, भाभी की तबीयत खराब है ! हाँ रमेश तबीयत बहुत खराब है, अस्पताल मे भर्ती किए हैं.....वो....

अरे हाँ भैया अगर कोई बात हो तो बता दीजिएगा.....हम अभीं तो बीजी हूँ, बाद मे बात करता हूँ !
फ़ोन कट कर के रख दिया....अरे कौन था, रे रमेश........अरे उ भैया थें......भाभी की तबीयत......अरे तूँ क्या करेगा जान के चल तूँ पैग बना.........!!

२ महीने बाद जब रमेश घर आया, एक दिन खाना खा रहा था, तभी अचानक द्वार पे कोई आया ! और उसके बड़े भाई को भला बुरा कहने लगा !

अरे महेश २ महीने हो गये, तूने अभी तक मेरा उधार नहीं दिया, कब देगा मेरा पैसा...देख अगर तूने जल्द मेरा पैसा नहीं दिया तो मैं तेरी गाय खोल के ले जाउँगा !
अंदर खाना खा रहा रमेश अपनी पत्नी से.... अरे कौन चिल्ला रहा है, बाहर.....पत्नी- लाला है बड़े भाई साहब को भला बुरा कह रहा है !


रमेश- क्यों क्या हुआ..........अरे भाई साहब ने क़र्ज़ लिया था उससे, जब दीदी की तबीयत खराब थी ! वही माँगने आया होगा......
रमेश खाना छोड़ बाहर आकर, भैया आपने लाला से क़र्ज़ लिया था, जब भाभी की तबीयत खराब थी ! मैने आप को बोला था न के अगर पैसे की ज़रूरत हो तो मुझसे कहिएगा...........
महेश चुप-चाप खड़ा उसकी बातें सुन रहा था......एक शब्द नहीं बोल रहा था !
पास मे ही खड़ी महेश की पत्नी भी रमेश की बातें सुन रही थी, महेश के कुछ न बोलने पर..... वो बोली...

रमेश तुम्हे तो पता ही है, हमारी स्थिति.... खेतों मे इस साल फसल भी अच्छा नहीं हुआ ! तुम्हारे भैया को कोई काम भी नही मिलता, उनकी भी तबीयत आज-कल खराब ही रहती है ! तुम और तुम्हारी पत्नी हमारी परिस्थिति को भली-भाति जानते हो उस दिन तुम्हारे भैया ने पैसे के लिए ही तो तुम्हारे पास फ़ोन किया था ! जब उन्हे पता चला के मेरी तबीयत खराब है इसका तुम्हे पहले से पता था ! फिर भी तुमने फ़ोन करके मेरा हाल तक नहीं पूछा...........और तो और जब उन्होने फ़ोन किया तो तुमने कहा के कोई बात हो तो मुझे बता दीजिएगा......सब जानते हुए भी के हम किस स्थिति से गुजर रहे हैं, फिर तुम कह रहे हो के कोई बात हो तो बता दीजिएगा....ये कह कर तुमने फ़ोन काट दिया....! फिर दुबारा पूछे भी नही के भैया पैसे का इंतेजाम हुआ भी या नही !
रमेश जब तुम्हारे भैया के साथ मेरी शादी हुई थी, तब तुम ६ साल के थे ! शादी के दो साल बाद ही सासू माँ गुजर गई !
मैं आज भी तुम्हे देवर नहीं, अपना बेटा समझती हूँ ! जब तुम छोटे थे, तुम्हारे भैया अनपढ़ होते हुए भी मेहनत मज़दूरी करके तुम्हे पढ़ाया ! खुद पुराने कपड़े पहनते रहे पर तुम्हारे लिए नये सिलवाते थें ! तब तुमने अपने भैया से कहा था के भैया मुझे पढ़ना है, भैया मुझे नये कपड़े खरीद दो नही न.....क्योकि भैया तुम्हारी मन की बात समझते थें.........और अपना फ़र्ज़ निभाना चाहते थें !


और उस दिन रमेश.............जब भैया ने फ़ोन किया तो तुम उनकी मन की बात नहीं समझ पाए........

                                     
                                                  समाप्त

धन्यवाद... 

…. इंदर भोले नाथ
http://merealfaazinder.blogspot.in/2015/08/blog