Saturday, September 5, 2015

वही अपने सारे हैं......!!
चाँद भी वही तारे भी वही..!
वही आसमाँ के नज़ारे हैं...!!
बस नही तो वो "ज़िंदगी"..!
जो "बचपन" मे जिया करते थे...!!
वही सडकें वही गलियाँ..!
वही मकान सारे हैं.......!!
खेत वही खलिहान वही..!
बागीचों के वही नज़ारे हैं...!!
बस नही तो वो "ज़िंदगी"..!
जो "बचपन" मे जिया करते थे...!!

#मेरे_अल्फ़ाज़_इंदर
Acct-IBN_



हर दर्द से दोस्ती,
हर गम से याराना है.....!
तभी है शौक़ शायरी का,
और महफ़िल शायराना है....!!