दिल इश्क़ का गुनहगार है इसे मौत दे दी जाय
कम्बख़त इसी का हक़दार है इसे मौत दे दी जाय
यूँ भी मर मर के जी रहा है,ज़िंदा कहाँ है ये
इस क़दर जीना भी बेकार है इसे मौत दे दी जाय
बहुत गुज़ारिश करेगा तुम से हज़ारों मिन्नते करेगा
मगर सुनती कहाँ सरकार है इसे मौत दे दी जाय
गर्दिश मे कश्ती आ फँसी है और मुस्करा रहा है वो
ऐसे प्यार पे धिक्कार है इसे मौत दे दी जाय
अब अगर बख़्श दोगे "इंदर"तो बग़ावत ही करेगा ये
इसके सर पे खून सवार है, इसे मौत दे दी जाय
- इंदर भोले नाथ
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