यहाँ हुस्न है बंदिशों मे घिरा,वहाँ,इश्क़ भी मजबूर है
किसी को आशियाँ नसीब नहीं,कोई हुआ घर से दूर है
किसी को आशियाँ नसीब नहीं,कोई हुआ घर से दूर है
ऐसा कोई मौसम नहीं जब आँख, सर्द नहीं होता
लोग झूठ कहते हैं के मर्द को दर्द नहीं होता
लोग झूठ कहते हैं के मर्द को दर्द नहीं होता
दिल फफक पड़ता है अक्सर ये,हौसला टूट जाने पर
के लड़के भी रोया करते हैं, घोंसला छुट जाने पर
के लड़के भी रोया करते हैं, घोंसला छुट जाने पर
उसकी वाह की कीमत लगी लाखों हज़ार में
हमारी आह सिसकियां भरती रही बाज़ार में
हमारी आह सिसकियां भरती रही बाज़ार में
© इंदर भोले नाथ
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