Thursday, May 7, 2020

ग़ज़ल

इक आस है, जो खास है
आँखों में  इक नमी सी है

हाँ मैं मुकम्मल हूँ लेकिन
कहीं तो कुछ कमी सी है

कोई तो है जो न गुजरा है
मुझमें अब भी वो ठहरा है

मैं उसे जुदा कर भी देता,वो
जीने के लिये लाज़मी सी है

©इंदर भोले नाथ

Monday, May 4, 2020

गीत -ये शाम फिर वही पहचानी सी है

ये शाम फिर वही पहचानी सी है
आंखों में फिर वही कहानी सी है

रोज खामोशियों में गुजरते हैं पल
दास्तां इश्क़ की वही पुरानी सी है

ये शाम फिर…..

तुं मुझ में है  या  तुझ में हूँ मैं
आज तक ये समझ पायें न हम

खामोशी है या जुबानी सी है
मुझ में तेरी कोई निशानी सी है

 ये शाम फिर……..

अधूरे स्वप्न कुछ तुम्हारे भी हैं
ख्वाहिशें कुछ अधूरी हमारी भी है

तेरे दिल में भी हलचल तूफानी सी है
मेरी आँखों मे भी थोड़ी पानी सी है


ये शाम फिर वही पहचानी सी है
आंखों में फिर वही कहानी सी है

©इंदर भोले नाथ

Friday, May 1, 2020

ग़ज़ल

के   तेरे   बाद   कोई  असर  तो  रहे
मेरे  दिल  में  यादों  की  बसर तो रहे

मेरी  हर  शाम  गुजरे  इसी उम्मीद मे
के  तेरे  आने  की  कोई खबर तो रहे

तुमने  जो भुला दिये कहानी की तरह
किसी ने उसे रखा है निशानी की तरह

इस  जहाँ से परे कोई बे-खबर तो रहे
प्यासा कहीं गुमनाम इक शजर तो रहे

© इंदर भोले नाथ