Monday, September 7, 2015

इस तन्हाई मे कुछ....तो बात है,
न जाने क्यूँ लगे....कोई साथ है...
सदियों से ढूंढते रहें,जिसे दर-बदर,
बनके साया वो चली,हर पहर साथ है...!!