किसी के बरसों की क़ैद का तासीर हूँ मैं
अंधेरी ताख पर रखा हुआ जंजीर हूंँ मैं
किसी और की खातिर मुझे गंवा न देना
तुम्हारी भूली बिसरी हुई जागीर हूंँ मै
मिल कर शायद फिर मुकम्मल हो जायें
तुम हमारी और तुम्हारी तक़दीर हूँ मैं
सुना है कि दर्द बहुत ही अजीज है तुम्हें
गले लगा लो मुझे दर्द की तस्वीर हूं मैं
©इंदर भोले नाथ
बागी बलिया, उत्तर प्रदेश
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