मैंने अश्क़ों के समंदर संग अपना मुकद्दर देखा है
हां मैंने इश्क को जहन्नुम से भी बद्तर देखा है
ज़िंदगी गुजर जाती है इंतज़ार में अक्सर
हाँ मैंने इश्क़ में हसर इस क़दर देखा है
इन आंखों से नींद अब काफ़ूर सी हो गई है
के तेरी तलाश में मैंने इस क़दर दर ब दर देखा है
मिलते नहीं है ख़्वाबों में भी वो बिछड़ जाने वाले
हुए इंतज़ार मे बसर कितने रह ए गुज़र देखा है
महज़ सांसों के चलने से जिंदगी जिंदा नहीं रहती
हाँ मैंने जीते जी "इंदर" तेरा क़बर देखा है
© इंदर भोले नाथ
हां मैंने इश्क को जहन्नुम से भी बद्तर देखा है
ज़िंदगी गुजर जाती है इंतज़ार में अक्सर
हाँ मैंने इश्क़ में हसर इस क़दर देखा है
इन आंखों से नींद अब काफ़ूर सी हो गई है
के तेरी तलाश में मैंने इस क़दर दर ब दर देखा है
मिलते नहीं है ख़्वाबों में भी वो बिछड़ जाने वाले
हुए इंतज़ार मे बसर कितने रह ए गुज़र देखा है
महज़ सांसों के चलने से जिंदगी जिंदा नहीं रहती
हाँ मैंने जीते जी "इंदर" तेरा क़बर देखा है
© इंदर भोले नाथ