Sunday, March 13, 2016

बता ऐ-दिल-ए-नादां तुझे हुआ क्या है...

क्यूँ उदास हुआ खुद से है तूँ
कहीं भटका हुआ सा है,
न जाने किन ख्यालों मे
हर-पल उलझा हूआ सा है,
बता ऐ-दिल-ए-नादां तुझे हुआ क्या है
खोया-खोया सा रहता है
अपनी ही दुनिया मे,
गुज़री हुई यादों मे
वहीं ठहरा हुआ सा है,
बता ऐ-दिल-ए-नादां तुझे हुआ क्या है
शीशा-ए-ख्वाब तो टूटा नहीं
तेरे हाथों से फिसल के,
जो आँखों मे टूटे ख्वाब लिए
यूँ रूठा हुआ सा है,
बता ऐ-दिल-ए-नादां तुझे हुआ क्या है
क्यों उम्मीद किए बैठा है तूँ
वफ़ा की इस जमाने से,
यहाँ कीमत लगी है प्यार की
इश्क़ बिका हुआ सा है,
बता ऐ-दिल-ए-नादां तुझे हुआ क्या है
…इंदर भोले नाथ…
..(१३/०३/२०१६)


ज़िंदगी न हो उदास तूँ

ज़िंदगी न हो उदास तूँ,
तेरे पूरे अरमान कर देंगे…
हम वो माहिर परिंदे हैं,
जो तुफां मे उड़ान भर देंगे…
…इंदर भोले नाथ…