Saturday, April 27, 2019

शायरी (ये इनादत की है...

खामोशियों ने अब बगावत की है,
करें गुफ्तगू तुमसे ये इनादत की है... 

शायरी (उस अजनबी के खयालों में....

वक्त गुजरे दिन में,
दिन गुज़र गयें सालों में,
दिल आज भी खोया हुआ है,
उस अजनबी के खयालों में....

शायरी (अब मैं "खास" लिखता हूँ....

बड़ी तस्सली से आज कल "अहसास" लिखता हूँ,
इक तेरे वास्ते ही अब मैं "खास" लिखता हूँ....

खुश्बू बयां करते हैं....

आजकल रुख हवाओं का कुछ यूं बहा करते हैं, 
मेरे कुचे से गुजर के "तेरी" खुश्बू बयां करते हैं....

शायरी (हर रोज बिखर जाता हूं...

मेरी तडप का अहसास
तुझे नहीं है ऐ-जिंदगी,
मैं टुट के हर रोज बिखर जाता हूं...

शायरी (वो शख्स याद आ जाता है...

हमें मोहब्बत तेरे नाम से है,
तेरा नाम जब भी लेते हैं,
वो शख्स याद आ जाता है...

शायरी (अपनी असर चाहता है...

वो शख्स जो तुम्हें इस क़दर चाहता है
तुम्हारे दिल में थोड़ी बसर चाहता है,
जो दुनिया भुला बैठा हो "तेरे वास्ते"
तेरे खयालों में अपनी असर चाहता है...

...इंंदर भोले नाथ