Friday, February 1, 2019

गज़ल

रहें गुमसुम कब तलक खुद में दम निकल जायेगा,
कोई गुफ्तगू कर ले पल दो पल दिल बहल जायेगा...

रहता नहीं ठहरा हुआ ये वक्त बदल जायेगा,
जब रू ब रू होगे आईने से ख्वाब रेत सा फिसल जायेगा...

युंही खामोश रह लेतें हम उम्र भर "इंदर",
युं इस कदर ना तोड़ता हमें खामोशियों का असर...

गुमनाम सा इक "दर्द" रूह तक ढ़ल जायेगा,
कोई गुफ्तगू कर ले पल दो पल दिल बहल जायेगा...

इंदर भोले नाथ