Wednesday, March 21, 2018

मुखालिफत...

मुखालिफत पे उतर आया है दिल आज कल अपना,
मेरे दर्द से ज़्यादा उसकी यादों को तवज्जो देने लगा है….

दिल-ए-खल्क़ मे...

गम-ए-दरिया उतर आया दिल-ए-खल्क़ मे,
कुछ इस क़दर अल्फ़ाज़ ने मुरीद बना दिया….

आप ही खो गये...

आए थें दर पे तेरी तलाश को,
मुख्तलिफ जो हुएँ आप ही खो गये....

.....IBN