तेरा ज़िक्र जब भी हुआ मेरे फसाने मे
मेरी वो हर शाम गुज़री मयखाने मे…
…इंदर भोले नाथ…
मेरी वो हर शाम गुज़री मयखाने मे…
इंदर भोले नाथ....... आधुनिक हिंदी साहित्य से परिचय और उसकी प्रवृत्तियों की पहचान की एक विनम्र कोशिश : भारत