कितनी उदास होती है ये रात सुबह आने तक
हमने महसूस किया ये हालात सुबह आने तक
हमने महसूस किया ये हालात सुबह आने तक
इतना उदास के हर पहर सिहर के गुजरता है
दफ़न हो जाते हैं कई जज़्बात सुबह आने तक
दफ़न हो जाते हैं कई जज़्बात सुबह आने तक
हिज़्रे आलम यूँ के सफ पे लाश सा बिछ जाते हैं
छोड़ जाते हैं दर्द निशानात् सुबह आने तक
छोड़ जाते हैं दर्द निशानात् सुबह आने तक
है शज़र भी खामोश परिंदे भी चुप चाप से हैं
कइयों को तोड़ जाती है ये रात सुबह आने तक
कइयों को तोड़ जाती है ये रात सुबह आने तक
©® इंदर भोले नाथ
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