Wednesday, July 8, 2020

ग़ज़ल

उम्र भर तुम से अब कोई वास्ता भी नहीं रखना
हाँ ये भी सही है के जुदा तुमसे रास्ता भी नहीं रखना

मेरी जिंदगी तबाह कर के तुम आबाद रहोगे कैसे
मुझे कैद ए हयात देने वाले तुम आजाद रहोगे कैसे

मैं मिटा दूं खुद को ये मैं हरगिज़ होने नहीं दूंगा
तेरे जेहन से अपनी यादों को मैं खोने नहीं दूंगा

दिल में अधूरी अब कोई दास्ताँ भी नहीं रखना
हाँ ये भी सही है के जुदा तुमसे रास्ता भी नहीं रखना

मेरा क्या है हम अल्फाजों संग जिंदगी गुजार देंगे
ये वादा रहा तुमसे हम तुम्हारी जिंदगी बिगाड़ देंगे

सदियों से चली आई इस रीति को जड़ से उखाड़ना है
तुम जैसी बेवफाओं को अब मुझे ही सुधारना है

तुम जाओ के तुमसे अब कोई राब्ता भी नहीं रखना
हाँ ये भी सही है के जुदा तुमसे रास्ता भी नहीं रखना

उम्र भर तुम से अब कोई वास्ता भी नहीं रखना
हाँ ये भी सही है के जुदा तुमसे रास्ता भी नहीं रखना

© इंदर भोले नाथ