कभी रिमझिम फुहारों संग
कभी तेज हुआ बौछारों संग
देखो लौट के वापस घर आया
है सावन फिर बहारों संग
गर्मी से राहत है मिली,फिर
बारिश की आहट है मिली
गरज गरज के तड़प तड़प के
फिर फोटो खींच रही बिजली
नदियाँ मे बहते धारों संग
मनमोहक लिये नजारो संग
देखो लौट के वापस घर आया
है सावन फिर बहारों संग
बागों में झूले लगाने लगी
कई ख्वाब आंखों में सजाने लगी
फिर सखियों संग गोरी मिलके
सावन का राग सुनाने लगी
फिर नाव बनाकर यारों संग
रद्दी और अखबारों संग
देखो लौट के वापस घर आया
है सावन फिर बहारों संग
मौजों में रवानी है
बरस रहा जो पानी है
नाच रहा है खेतों में,फिर
खिल उठा दिल किसानी है
सुख समृद्धि और सहारो संग
दुल्हन और कहारों रो संग
देखो लौट के वापस घर आया
है सावन फिर बहारों संग
कीचड़ से सनी है देह
मिट्टी से बहुत है स्नेह
खेल कबड्डी खेल रहे हैं
बरस रहा जमकर है मेह
बचपन के सब यारों संग
खाब लिये हजारों संग
देखो लौट के वापस घर आया
है सावन फिर बहारों संग
कभी रिमझिम फुहारों संग
कभी तेज हुआ बौछारों संग
देखो लौट के वापस घर आया
है सावन फिर बहारों संग
©भोले नाथ
कभी तेज हुआ बौछारों संग
देखो लौट के वापस घर आया
है सावन फिर बहारों संग
गर्मी से राहत है मिली,फिर
बारिश की आहट है मिली
गरज गरज के तड़प तड़प के
फिर फोटो खींच रही बिजली
नदियाँ मे बहते धारों संग
मनमोहक लिये नजारो संग
देखो लौट के वापस घर आया
है सावन फिर बहारों संग
बागों में झूले लगाने लगी
कई ख्वाब आंखों में सजाने लगी
फिर सखियों संग गोरी मिलके
सावन का राग सुनाने लगी
फिर नाव बनाकर यारों संग
रद्दी और अखबारों संग
देखो लौट के वापस घर आया
है सावन फिर बहारों संग
मौजों में रवानी है
बरस रहा जो पानी है
नाच रहा है खेतों में,फिर
खिल उठा दिल किसानी है
सुख समृद्धि और सहारो संग
दुल्हन और कहारों रो संग
देखो लौट के वापस घर आया
है सावन फिर बहारों संग
कीचड़ से सनी है देह
मिट्टी से बहुत है स्नेह
खेल कबड्डी खेल रहे हैं
बरस रहा जमकर है मेह
बचपन के सब यारों संग
खाब लिये हजारों संग
देखो लौट के वापस घर आया
है सावन फिर बहारों संग
कभी रिमझिम फुहारों संग
कभी तेज हुआ बौछारों संग
देखो लौट के वापस घर आया
है सावन फिर बहारों संग
©भोले नाथ