Friday, January 29, 2016

लम्हा तो चुरा लूँ…

उन गुज़रे हुए पलों से,
इक लम्हा तो चुरा लूँ…
इन खामोश निगाहों मे,
कुछ सपने तो सज़ा लूँ…
अरसा गुजर गये हैं,
लबों को मुस्काराए हुए…
सालों बीत गये “.ज़िंदगी”,
तेरा दीदार किये हुए…
खो गया है जो बचपन,
उसे पास तो बुला लूँ…
उन गुज़रे हुए पलों से,
इक लम्हा तो चुरा लूँ…
जी रहे हैं,हम मगर,
जिंदगी है कोसों दूर…
ना उमंग रहा दिल मे,
ना है आँखों मे कोई नूर…
है गुमनाम सी ज़िंदगी,
इक पहचान तो बना लूँ…
उन गुज़रे हुए पलों से,
इक लम्हा तो चुरा लूँ…
Acct- इंदर भोले नाथ…
३०/०१/२०१६

Thursday, January 28, 2016

बरसों बाद लौटें हम...

बरसों बाद लौटें हम,
जब उस,खंडहर से बिराने मे…
जहाँ मीली थी बेसुमार,
खुशियाँ,हमें किसी जमाने मे…
कभी रौनके छाई थी जहाँ,
आज वो बदल सा गया है…
जो कभी खिला-खिला सा था,
आज वो ढल सा गया है…
लगे बरसों से किसी के,
आने का उसे इंतेजार हो…
न जाने कब से वो किसी,
से मिलने को बेकरार हो…
अकेला सा पड़ गया हो,
वो किसी के जाने से…
लगे सिने मे उसके गम,
कोई गहरा हुआ सा हो..
वो गुज़रा हुआ सा वक़्त,
वहीं ठहर हुआ सा हो…
घंटों देखता रहा वो हमें,
अपनी आतुर निगाहों से…
कई दर्द उभर रहे थें,
उसकी हर एक आहों से…
कुछ भी न बोला वो बस,
मुझे देखता ही रहा गया…
उसकी खामोशियों ने जैसे,
हमसे सब कुछ हो कह दिया…
क्या हाल सुनाउँ मैं तुमसे,
अपने दर्द के आलम का…
बिछड़ के तूँ भी तो,
हमसे तन्हा ही रहा…
बरसों बाद मिले थें हम,
मिलके,दोनो ही रोते चले गये…
निकला हर एक आँसू,
ज़ख़्मों को धोते चले गये…
घंटों लिपटे रहें हम यूँही,
एक-दूसरे के आगोश मे…
जैसे बरसों बाद मिला हो,
बिछड़ के कोई “दोस्ताना”…
मैं और मेरे गुज़रे हुए,
मासूम सा “बचपन” का वो ठिकाना…
Acct- इंदर भोले नाथ…
२८/०१/२०१६

Friday, January 15, 2016

बड़ी ही पाकीज़ा और इमान थी
चाहतें मेरी....
देखी जो तेरी शोख निगाहें,हसरतें
बेइमान हो गई...

.......................इंदर (IBN)


कुछ यूँ जिया मैं उससे,जुदा होके…
जैसे बिखरा कोई कस्ती,तुफां मे फन्ना होके..!
जुड़ा रिस्ता कुछ इस कदर,उसकी यादों से अब…
जैसे ज़िंदगी बसी है,सांसो मे,रवाँ होके…!!
Acct- इंदर भोले नाथ…

अजीब है ये मोहब्बत,
मुकम्मल हो तो कोई ज़िक्र नहीं...
गर अधूरी रह जाए,
दास्ताँ बन जाती है...

                   ..............इंदर (IBN)

Friday, January 8, 2016

वो पहला खत मेरा "तेरे नाम का"..........

वो पहला खत मेरा “तेरे नाम का”……….
मेरी प्यारी (******)
हर वक़्त हमें तेरी मौजूदगी का एहसास क्यूँ है,
जब याद करता दिल तुझे, तूँ पास क्यूँ है…
ये क्या है क्यूँ है,कुछ समझ नहीं आता,
तेरे न होने से आज दिल उदास क्यूँ है…
कल तेरे न आने से,मैं सारा दिन खामोश बैठा रहा,
कई बार सोचा तेरी गली का इक चक्कर लगा आता,
कितनी तड़प है सांसो मे काश तुझे जता पाता…
जितनी बेचैनी मुझको है,क्या तुम भी उतनी बेचैन सी है,
बस यही तुमसे पूछना था,बस यही पता लगाना था,
सोचा कई बार पूछलू तुमसे,हर बार मैं डर जाता था…
बुरा न मान जाओ कहीं, तुम मेरी बातों का
इसलिए लिखा था खत एक, मैने “तेरे नाम का”
अक्स दिया अल्फाज़ों मे,मैने अपने अरमान का
लिए सुबह निकला था मैं,वो खत कमीज की जेब मे
बारिश आई भीग गया,वो मेरा पहला खत तेरे नाम का
जिस सादगी से था लिखा मैने
वो इज़हार-ए-खत तेरे नाम का
तब लगा जैसे टूट गया, घरौंदा मेरे अरमान का
वो मेरा पहला खत “तेरे नाम का”
तुम्हारा….इंदर
…….इंदर भोले नाथ…….