Tuesday, February 2, 2016

कुछ तो बहेका होगा,
रब भी तुझे बनाने मे…
सौ मरतबा टूटा होगा,
ख्वाहिशों को दबाने मे…!!
आँखों मे है नशीलापन,
लगे प्याले-ज़ाम हो जैसे…
गालों पे है रंगत छाई,
जुल्फ घनेरी शाम हो जैसे…
सूरज से मिली हो लाली,
शायद,लबों को सजाने मे…
कुछ तो बहेका होगा,
रब भी तुझे बनाने मे…!!
मलिका हुस्न की हो या,
हो कोई अप्सरा तुम…
जो भी हो खुदा की कसम,
हो खूबसूरत सी बला तुम…
तुमसा कोई और नहीं,
अब है कहीं जमाने मे…
कुछ तो बहेका होगा,
रब भी तुझे बनाने मे…!!
———————–
Acct- इंदर भोले भोले…