"अपना के देखो"
सच्चाई की राह जन्नत है "जनाब",
बस इसे अपना के तो देखो...
लग जाते हैं गले दुश्मन भी कभी,
बस प्यार से गले लगा के तो देखो...
पिघल जाते हैं पत्थर भी "जनाब",
कभी अंगारों से आँख मिला के तो देखो...
संवर जाते हैं बिगड़े मुक़द्दर भी यहाँ,
कभी सिकंदर सा हौंसला ला के तो देखो..
गुमान करते हो जिन अपनों पे तुम "इंदर",
वो भी मुकर जाएँगे,
सच्चाई की राह कभी अपना के तो देखो.......
#मेरे_अल्फ़ाज़_इंदर
Acct- (IBN)
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