"कभी ख्वाब रखते थें"
कभी हम भी ख्वाब रखते थें,
आसमाँ मे उड़ जाने को..
कभी हम भी ख्वाब रखते थें,
सागर मे नाव चलाने को..
कभी हम भी ख्वाब रखते थें,
इक नई जहाँ बसाने को...
कभी हम भी ख्वाब रखते थें,
ज़मीं पे चाँद लाने को....
कभी हम भी ख्वाब रखते थें,
पापा सा बड़ा हो जाने को..
अब हम भी ख्वाब रखते हैं..."इंदर"...
उस ख्वाब-नुमा बचपन मे लौट जाने को....
#मेरे_अल्फ़ाज़_इंदर
Acct- (IBN)
No comments:
Post a Comment