Sunday, August 9, 2015

"मेरी पहचान याद आयेगी"


कभी तन्हा होगे तब तुम्हे,
हमारी याद आयेगी...!
दर्द मे सिमटी रात,
खामोशियों मे डूबी शाम आयेगी...!!

मेरे न होने का एहसास,
तुम्हे इस क़दर सतायेगी...!
धड़कन की रफ़्तार तेज,
साँसे मचल सी जायेगी...!!

हर शाम टूट के तुम भी,
हर रात बिखर जाओगे..
फिर ख्यालों की अपनी,
एक नई दुनिया बसाओगे...

जब हो जाओगे खुद से,
यूँ गुमनाम तन्हाई मे...!
तब तुम्हे "इंदर",
मेरी पहचान याद आयेगी......!!

१५/०६/२०१५ @ इंदर @ मेरे_अल्फ़ाज़_इंदर
Acct- (IBN)

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