Sunday, August 9, 2015

"अब भी आता है"


ज़रा टूटा हुआ है मगर बिखरा नहीं है ये....
वफ़ा निभाने का हुनर इस दिल को अब भी आता है...

तूँ भूल जाए हमे ये मुमकिन है लेकिन.......
हर शाम मेरे लब पे तेरा ज़िक्र अब भी आता है...

हज़ारों फूल सजे होंगे महफ़िल मे तेरे लेकिन...
मेरे किताबों मे सूखे उस गुलाब से खुश्बू अब भी आता है...

न गुज़रेगी कभी तूँ इस रस्ते से लेकिन........
करना उम्मीद तेरे आने का हमे अब भी आता है...

ज़रा टूटा हुआ है मगर बिखरा नहीं है ये....
वफ़ा निभाने का हुनर इस दिल को अब भी आता है...


२७/०९/२०१० @इंदर@मेरे_अल्फ़ाज़_इंदर
Acct- (IBN)

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