मतलबी रिश्तों की यारी, लानत है
है ये कैसी दुनियादारी, लानत है
डँसते हैं,पर दूध पिलाना जायज भी
है ये कैसी जिम्मेदारी , लानत है
वहाँ हुजूर अटरिया रंभा उर्वशी नाचे
यहाँ जनता फिरे मारी मारी, लानत है
© इंदर भोले नाथ
बाबा भृगु की नगरी
बागी बलिया, उत्तर प्रदेश
#6387948060
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