Friday, February 25, 2022

शेर

1-
 
ये कौन आया कि फिर नई कहानी दे दी
मुझ मे  फिर  वही शौक़  पुरानी दे दी

दिल अंकुरित हो रहा है किसी दाने सा
कि सुखी ख्वाहिशों को फिर पानी दे दी

2-

बिन यादों के गुजरे शाम, ये हो नहीं सकता
न दुआ न कोई सलाम, ये  हो नहीं सकता

गर होने पे आये तो रूह जिस्म से जुदा कर दूँ
पर दिल से मिटा दूँ तेरा नाम ये हो नहीं सकता
 

© इंदर भोले नाथ
बाबा भृगु की नगरी
बागी बलिया, उत्तर प्रदेश

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