Tuesday, June 9, 2020

ग़ज़ल

ये कुछ दिनों से खुमारी बढ़ी जो इस क़दर है
क्यूँ जोश में है जवानी, क्यूँ बहेका ये उमर है

क्यूं हो रहे हैं बेखबर हम जमाने की हकीकत से
ये हमको भी पता है, ये तुमको भी खबर है

आशां नहीं है इतना ये जो इश्क की डगर है
है कांटो भरा ये रस्ता बड़ी मुश्किल ये रहगुजर है

मुकम्मल जो हो गया तो, जिंदगी संवर जाएगी
वर्ना जीने नहीं है देता ये जो गमे इश्क का सफर है

कई आशियां है उजड़े कई वीरान हुए घर हैं
है कांटो भरा ये रस्ता बड़ी मुश्किल ये रहगुजर है

कुछ इस कदर हुए हैं हम दोनों एक-दूजे के ऐसे
मैं तुझ में समा गया हूं, तुम मुझ में हुआ बसर है

@ INDER BHOLE NATH

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