सबसे अलग और सबसे जुदा लिखता
तुम शब्द होती तो तुम्हें मैं बेइंतेहां लिखता
हर शाम लिखता हर सहर लिखता
बस इक तुम्हें ही मैं हर पहर लिखता
हर पन्ने पर सजी तुम कई किताब होती
तुम मुझ में बे-हद और बे-हिसाब होती
कभी तुम्हें गुल तो कभी गुलिश्तां लिखता
तुम शब्द होती तो तुम्हें मैं बेइंतेहां लिखता
हर नज्म हर गजल से तेरी ही खुश्बू आती
हर हर्फ़ में मेरे तुम, कुछ यूं रवां हो जाती
हर किस्से कहानियों में, मेरी जुबानियों मे
सिर्फ़ तुम्ही बसर करती मेरी निशानियों मे
कभी महबूब तो तुम्हें कभी खुदा लिखता
तुम शब्द होती तो तुम्हें मैं बेइंतेहां लिखता
© इंदर भोले नाथ
#6387948060
बलिया, उत्तर प्रदेश
तुम शब्द होती तो तुम्हें मैं बेइंतेहां लिखता
हर शाम लिखता हर सहर लिखता
बस इक तुम्हें ही मैं हर पहर लिखता
हर पन्ने पर सजी तुम कई किताब होती
तुम मुझ में बे-हद और बे-हिसाब होती
कभी तुम्हें गुल तो कभी गुलिश्तां लिखता
तुम शब्द होती तो तुम्हें मैं बेइंतेहां लिखता
हर नज्म हर गजल से तेरी ही खुश्बू आती
हर हर्फ़ में मेरे तुम, कुछ यूं रवां हो जाती
हर किस्से कहानियों में, मेरी जुबानियों मे
सिर्फ़ तुम्ही बसर करती मेरी निशानियों मे
कभी महबूब तो तुम्हें कभी खुदा लिखता
तुम शब्द होती तो तुम्हें मैं बेइंतेहां लिखता
© इंदर भोले नाथ
#6387948060
बलिया, उत्तर प्रदेश
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