Monday, March 25, 2019

शायरी (मंजिल कि इसे खबर ही नहीं.....

इक अजीब सा मुसाफ़िर है दिल, सफर पे तो निकल पडा़
पर इसे जाना कहाँ है, मंजिल कि इसे खबर ही नहीं.....

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