जब चांद चुपके से
झील में उतर कर हमें देखेगा
जब ठंडी ठंडी हवाएं
हमारे कानों में आकर कुछ कह जाएंगी
जब परिंदे खामोश होकर
हमारी बातें सुनने की कोशिश करेंगे
जब कोसों दूर तलक
हम दोनों के अलावा ना कोई होगा
और ना ही कोई शोर होगा,
हां अगर कोई शोर होगा तो बस
हमारी धड़कनों का
जो पूरे वातावरण में धक-धक,धक-धक
की आवाज से गूंज रहा होगा
तब मैं तुमसे ये बात कहना चाहूंगा कि
तुम मेरी सुकून ही नहीं
मेरा ख्वाब ही नहीं,
मेरी खुशी ही नहीं
बल्कि तुम मेरी जिंदगी हो
तुम मेरे लिए पूरी दुनिया हो
और यदि मेरे जीवन में तुम नहीं हो तो
इस जीवन का महत्व भी
उतना ही होगा जितना कि
आत्मा के चले जाने के बाद
एक मृत देह का होता है
इंदर भोले नाथ
बागी बलिया उत्तर प्रदेश
झील में उतर कर हमें देखेगा
जब ठंडी ठंडी हवाएं
हमारे कानों में आकर कुछ कह जाएंगी
जब परिंदे खामोश होकर
हमारी बातें सुनने की कोशिश करेंगे
जब कोसों दूर तलक
हम दोनों के अलावा ना कोई होगा
और ना ही कोई शोर होगा,
हां अगर कोई शोर होगा तो बस
हमारी धड़कनों का
जो पूरे वातावरण में धक-धक,धक-धक
की आवाज से गूंज रहा होगा
तब मैं तुमसे ये बात कहना चाहूंगा कि
तुम मेरी सुकून ही नहीं
मेरा ख्वाब ही नहीं,
मेरी खुशी ही नहीं
बल्कि तुम मेरी जिंदगी हो
तुम मेरे लिए पूरी दुनिया हो
और यदि मेरे जीवन में तुम नहीं हो तो
इस जीवन का महत्व भी
उतना ही होगा जितना कि
आत्मा के चले जाने के बाद
एक मृत देह का होता है
इंदर भोले नाथ
बागी बलिया उत्तर प्रदेश
No comments:
Post a Comment