Monday, May 27, 2024

जब चांद चुपके से

जब चांद चुपके से 
झील में उतर कर हमें देखेगा
जब ठंडी ठंडी हवाएं 
हमारे कानों में आकर कुछ कह जाएंगी 
जब परिंदे खामोश होकर 
हमारी बातें सुनने की कोशिश करेंगे 
जब कोसों दूर तलक
हम दोनों के अलावा ना कोई होगा 
और ना ही कोई शोर होगा, 
हां अगर कोई शोर होगा तो बस 
हमारी धड़कनों का 
जो पूरे वातावरण में धक-धक,धक-धक 
की आवाज से गूंज रहा होगा 
तब मैं तुमसे ये बात कहना चाहूंगा कि 
तुम मेरी सुकून ही नहीं 
मेरा ख्वाब ही नहीं, 
मेरी खुशी ही नहीं 
बल्कि तुम मेरी जिंदगी हो 
तुम मेरे लिए पूरी दुनिया हो 
और यदि मेरे जीवन में तुम नहीं हो तो 
इस जीवन का महत्व भी 
उतना ही होगा जितना कि
आत्मा के चले जाने के बाद 
एक मृत देह का होता है


इंदर भोले नाथ
बागी बलिया उत्तर प्रदेश

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