रोने की तलब थी रोया न गया
तकिया अश्क़ों से भिगोया न गया
तकिया अश्क़ों से भिगोया न गया
पुरी रात दिवारों से बातें की हमने
तेरी याद मे रात फिर सोया न गया
तेरी याद मे रात फिर सोया न गया
कम्बख्त दिल भी बंजर जमीं हो गया है
तेरे बाद फसल कोई बोया न गया
तेरे बाद फसल कोई बोया न गया
कैसे कपड़ों की तरह लोग बदलते हैं रिश्तें
हमसे तेरी खुशबू बदन से धोया न गया
हमसे तेरी खुशबू बदन से धोया न गया
भटकी है रूह भी उसकी तलाश में इंदर
अफसोस मर के भी चैन से सोया न गया
अफसोस मर के भी चैन से सोया न गया
~ इंदर भोले नाथ
बागी बलिया उत्तर प्रदेश
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