वो नौकरी करने आया था ,वो शहर पढ़ने आई थी
तनिक टच क्या हुआ वो लड़ने आई थी
उसे मार कामयाबी की सीढ़ी चढ़ने आई थी
वो चुप था,वो थप्पड़ पे थप्पड़ जड़े जा रही थी
लोग तमाशा देख रहे थे, वो लड़े जा रही थी
वो मजबूरियों से सीमित था वो हद्द से गुजरने आई थी
वो नौकरी करने आया था, वो शहर पढ़ने आई थी
वो गर हाथ उठाता तो हंगामा बरस जाता
खड़ा हर शेर वहाँ का उस पे गरज जाता
वो मर्द था मर्दानगी का कायदा निभा रहा था
वो महिला शशक्तिकरण का फायदा उठा रही थी
वो माँ बहनों के लिए कमाने आया था
वो बाप भाईयों के प्रति जहर भरने आई थी
वो नौकरी करने आया था,वो शहर पढ़ने आई थी
वो नौकरी करने आया था,वो शहर पढ़ने आई थी
नोट : लखनऊ वाले घटना से इसका कोई संबंध नहीं है,
फिर भी अगर आप सोचते हो तो आप की मर्ज़ी
फिर भी अगर आप सोचते हो तो आप की मर्ज़ी
© इंदर भोले नाथ
बाबा भृगु की नगरी
बागी बलिया, उत्तर प्रदेश
#6387948060
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