चलो फिर से दिल लगाते हैं कहीं
फिर मोहब्बत आजमाते हैं कहीं
जिस्म तो कहीं और हार चुके हैं
सांसो को दांव पे लगाते हैं कहीं
ज़िंदगी का क्या है ये चलती रहेगी
फिर इसका साथ निभाते हैं कहीं
इक बेवफ़ा के नाम आधी गुजरी है
आधी ज़िंदगी फिर गवाते हैं कहीं
......इंदर भोले नाथ
फिर मोहब्बत आजमाते हैं कहीं
जिस्म तो कहीं और हार चुके हैं
सांसो को दांव पे लगाते हैं कहीं
ज़िंदगी का क्या है ये चलती रहेगी
फिर इसका साथ निभाते हैं कहीं
इक बेवफ़ा के नाम आधी गुजरी है
आधी ज़िंदगी फिर गवाते हैं कहीं
......इंदर भोले नाथ
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