Monday, July 8, 2019

शायरी (नींद हमें मयस्सर तो हो..

कहाँ मिलते हैं तुमसे रोजाना,मिलके कुछ असर तो हो,
ख्वाबों मे दीदार कर लेते लेकिन,नींद हमें मयस्सर तो हो...

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