Friday, October 20, 2017

तुझे चाँद कहूं या आफताब कहूं,
होगी तुझ-सा कोई हूर नहीं…
है नूर भी फिका सा लगे,
पर तुझमे कोई गुरूर नहीं…
…इंदर भोले नाथ

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