Wednesday, June 22, 2016

वीरानो में बना बैठे हैं…

कम्बख़्त ये तन्हाई भी न
कुछ इस क़दर हमें अपना बना बैठी है, के
इसका बसेरा मुझमे नहीं, हम
अपना आशियाना ही वीरानो में बना बैठे हैं…
…इंदर भोले नाथ…
http://merealfaazinder.blogspot.in/

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