इंदर भोले नाथ.......
आधुनिक हिंदी साहित्य से परिचय और उसकी प्रवृत्तियों की पहचान की एक विनम्र कोशिश : भारत
Saturday, May 7, 2016
अब ज़िंदगी संवर जाने दे…
ऐ-वक़्त है गुज़ारिश,अब निखर जाने दे गमों की इन आँधियों को,अब गुजर जाने दे ख्वाहिश सदियों की तुझसे,रखता नहीं है “इंदर” चन्द लम्हों मे ही सही,अब ज़िंदगी संवर जाने दे…
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